Contact Form

Name

Email *

Message *

Tuesday, January 30, 2018

कड़वे बोल का परिणाम। short story for kids with moral.

कड़वे बोल का परिणाम।।। 





कहते  हैं कि हमेशा प्रिय बोल बोलने चाहिए।

लेकिन कड़वे बोल इतने भारी पड़ जायगे शायद ये नहीं सोचा होगा। चलिये स्वागत है  एक नई ओर मजेदार कहानी के साथ।

एक बार एक राजा ने एक स्वपन देखा। उसने देखा कि उसके बगीचे में उसके द्वारा लगाए हुए पेड़ पर लगे हुए सारे पत्ते झड़ गए। बस एक ही पत्ता बचा । वह बहुत परेशान हुआ।

राजा ने बड़े बड़े महापुरुषों को बुलाया और अपने स्वपन के बारे में बताया।

सभी ने कहा कि इसका तो एक ही अर्थ हुआ महाराज की आपके परिवार मे आपको छोड़ कर सभी मर जायेगें।

यह सुन कर राजा को बहुत गुस्सा आया। उसने उन सबको फांसी की सजा सुना दी ओर घोषणा की कि उसके स्वपन का जो सही अर्थ बतायेगा उसे ईनाम मिलेगा।

एक महापुरुष यह सुनकर तशरीफ़ लाये। उन्होंने कहा महाराज अर्थ तो बहुत ही श्रेष्ठ है। बहुत बढ़िया ओर अच्छा अर्थ है। आपके राज्य ओर आपके लिये बहुत शुभ संकेत दिया है इस स्वपन ने।

राजा खुश हुए उन्होंने कहा क्या सकेंत है गुरुजी कृपया बताएं।

महापुरुष ने कहा कि हे राजा तुम बहुत ही कुशल राजा हो। राज्य को आपकी बहुत जरूरत है। आपके स्वपन का अर्थ है कि भगवान ने खुश हो कर आपको लंबी आयु का वरदान दिया है। आपकी उम्र सबसे ज्यादा होगी आपके परिवार में।

राजा खुश हुए और ईनाम दिया गया उन महापुरुष लो


सबकी बात का एक ही मतलब था । लेकिंन कहने का तरीका गलत था।


हमेशा मीठी वाणी बोलनी चाहिए


ऐसी वाणी बोलिय मन का आपा खोय
औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय।।

Thanks you for visiting .
If you like plz share it in your group.

Monday, January 29, 2018

जो बोयेगा वोही पायेगा।। short story with great moral.

जो बोयेगा वोही पायेगा।। 



स्वागत है आपका मेरी नई कहानी के साथ।

कहानी है एक परिवार की जिसमें चार लोग रहते थे। एक चार साल का छोटा बच्चा जिसका नाम भानु था वह अपने माता पिता और दादीजी के साथ रहता था।

उसकी दादी बहुत ही बूढ़ी हो गयी थी उन्हें न तो पूरी तरह दिखाई देता था और न ही सुनाई। उनके हाथ पैर कांपते रहते थे । वह न खुद से खा पाती थी और न ही अपने आप को साफ रख पाती थी।

भानु के माता पिता को उसकी दादी से घृणा आने लगी उन्होंने दादी को स्टोर रुम रहने को दे दिया। उसे खाना भी नही देते थे ढंग से। बचा हुआ खाना दादी को खाने के लिये दिया जाने लगा। किसी को भी दादी के कमरे में जाना पसंद नही था। वह पूरा दिन अकेली ही बैठी रहती। 

यह देख कर भानु की आंखों में अक्सर आंसू आ जाते। लेकिन वो छोटा सा बच्चा था वो कर भी क्या सकता था।


जब उसके माता पिता ऑफिस जाते तो वह छुपकर दादी के कमरे में जाता और दादी के साथ खेलता, घण्टो बाते करता, दादी को गाने सुनाता, उन्हें अपने फल चिप्स चॉकलेट खिलता, जिससे दादी खुश हो जाती थी।

भानु ने आज एक विचित्र बात सुनी दादी को वृद्ध आश्रम छोड़ने के लिये उनके माता पिता किसी से बात कर रहे थे।

लेकिन उसके पिता को समाज की छवि प्यारी थी इसलिय वो चिंतित थे कि समाज क्या कहेगा कि बूढ़ी माँ को आश्रम छोड़ दिया। लेकिन उसकी भानु की माँ ने इसका भी समाधान निकाला।

बूढ़ी दादी के लिये नये वस्त्र कम्बल आदि लाये गए और उन्हें वो सब देकर विदा करने की तरकीब बनाई। ताकि दादी खुश हो जाये और कहीं बुराई न करे।

भानु चुपचाप देख रहा था और दुखी था।

अंत में दादी को ले जाने का दिन आया। भानु के पिता ने उनका नया समान मंगवाया ओर कहा माँ तू यहां पूरा दिन अकेली रहती है तेरा मन भी नही लगता, वहाँ जायगी तो तुझे अच्छा लगेगा। दादी ने बड़े प्यार से कहा कोई बात नही बेटा मुझे कोई नाराजगी नही है। भानु की आँख भर आयी।

पिता ने कहा जायो माँ का समान लाओ ओर माँ किसी भी चीज की जरूरत हो तो बता देना।

माँ को दिखाने के लिये ट्रंक खोला। पर ये क्या आधी साड़ी, आधा कम्बल, आधी जुराबें, सभी चीजें किसी ने काट रखी थी।

भानु के पिता को गुस्सा आया ये किसने किया। 

भानु ने सिर नीचा कर के कहा पापा मैने किया है वो क्या है न जब आप भी बूढ़े होंगे तो आपको वृद्ध आश्रम भेजते वक़्त पता नहीं मैं यह सब जुटा पाऊँ या नहीँ। दादी का क्या है वो तो K कपड़ों में भी समय गुजार लेगी। लेकिन आपको तो आराम का जीवन व्यतीत करने की आदत है।


 कल को समाज मे मेरी छवि खराब न हो इसलिय मैंने अभी से ही तैयारी कर ली है।


यह सुन कर भानु के माता पिता के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई। 

वो समझ गए कि जब बीज बबूल के बोयगे तो आम कैसे मिलगे ओर उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया था। 

अब वो आदरपूर्वक दादी को रखते थे। परिवार सुखी हो गया।

छोटे भानु ने उस बात का अहसास जताया जिसे उसके माता पिता भूल गये थे। ममता का अहसास, बड़ो की इज्ज़त का अहसास ओर दादी को उनका आदरणीय स्थान भी दिलाया।

दोस्तों वृद्ध आश्रम उन वृद्ध लोगो के लिये है जिनके बच्चे इस दुनियां में नही है। उनके लिये नही जिनके बच्चे जीवित होकर भी मृत समान है।

जागो -- माता पिता वो दौलत है जिनका कोई मूल्य नहीँ है। उन्होंने तुम्हें जन्म दिया,  पाला, एक सफल इंसान बनाया लकिन बदले में कोई इच्छा नही रखी।

उनके चरणों मे ही स्वर्ग है। जीते जी मत हो जाओ अनाथ। हमेशा दो उन्हे उचित स्थान।

धन्यवाद।।
If you like this kindly share to everyone so that nobody will leave his parent at old age home.


Sunday, January 28, 2018

विष्णु भक्त्त प्रहलाद।। Vishnu bhakt prahlad, narsing Vishnu avtaar, नरसिंह अवतार।

विष्णु भक्त्त प्रहलाद।।। 



बच्चों आओ एक कहानी पड़ते हैं एक बहुत ही नेक बालक की जिसका नाम था प्रहलाद। वो एक विष्णु भक्त्त था। 


उसके पिता का नाम हिरण्यकश्यप था वो बहुत अत्याचारी था। उसे एक विशेष वरदान प्राप्त था कि उसे न कोई मनुष्य मार सकता है , न ही देव और दानव, न ही कोई जीव, न वह दिन में मरेगा, न वह रात मे, न किसी शस्त्र से उस पर वार होगा,  न वह घर मे मरेगा, न ही बाहर , जिसके कारण उसने अपने आप को भगवान मान लिया था। वह अमर हो गया ऐसा उसका सोचना था।



उससे भयभीत होकर सभी मनुष्य उस से डरने लगे और उसकी पूजा करने लगे। लेकिन प्रहलाद विष्णु जी की ही पूजा करता था। उसके पिता ने उसे बहुत डराया ओर धमकाया की तू मुझे पूज मैं ही भगवान हूँ। लेकिन प्रहलाद ने उसकी बात नही मानी । वह कहता पिताजी आप भी विष्णु की पूजा करो और ये अत्याचार छोड़ दो अपने दिये हुए वरदान को लोगो के कल्याण के लिए इस्तेमाल करो।

हिरण्यकश्यप गुस्से में लाल हो गया। उसने कहा कि जो मुझे नही पूजेगा मैं उसे खत्म कर दूंगा चाहे वो मेरा पुत्र ही क्यों न हो।

उसने प्रहलाद को मारने के बहुत प्रयास किये लकिन असफल रहा। अब उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया ओर प्रहलाद को सारे राज्य के सामने मारने की घोषणा की।

होलिका को वरदान में एक चादर प्राप्त थी। जिस से वह अग्नि में बैठ कर भी जल नही सकती थी। प्रहलाद ओर होलिका को जलती अग्नि में बिठा दिया गया दोनो को बांध दिया। लकिन पहलाद निडर होकर विष्णु जी का नाम जपता रहा ओर तेज हवा चली चादर होलिका के ऊपर से उड़ कर प्रहलाद के ऊपर आ गयी। होलिका जल गई और  प्रहलाद बच गया।

इस से हिरण्यकश्यप पागल हो गया ओर प्रहलाद को कुछ दिन बाद खुद मारने के लिये आगे बढ़ा। तब विष्णु जी ने नरसिंह रूप लेकर हिरण्यकश्यप का अंत किया।




नरसिंह रूप न ही इंसान था न देव. 
न राक्षस था न ही पशु
मारने का वक्त सन्ध्या का था जो न दिन ओर न ही रात का था
घर के दहलीज पर उसका वध हुआ जो न ही अंदर थी न बाहर
मारने के लिये तेज नरसिंह के नाखूनों का इस्तेमाल हुआ जो शस्त्र नही थे।

इस प्रकार विष्णु जी ने अपने भक्त की रक्षा की ओर दुष्ट हिरण्यकश्यप का वध किया।

साथ ही ये सिध्द हुआ कि बुराई कितनी भी ताकतवर हो अंत निशचित है।

तभी से होली त्योहार पर लकड़ियों को जला कर पूजा पाठ आदि कर के बुराई के अंत को हर साल celebrate किया जाता है।

वन्दे विष्णु।।।।।


If you like this story then please share in your group..
Vande vishnu..

ऐसा झूठ जो सच से बढ़कर है। aisa jhooth jo sach se badkar hai, story time

ऐसा झूठ जो सच से बढ़कर है।



कहते है ऐसा झूठ जो कल्याण कर दे वो सच से कहीं ज़्यादा बढ़कर होता है।

आइये यह बात कितनी सही है हम इस कहानी को पढ़कर अनुमान लगाए।

एक लड़का था जिसका नाम राकेश था। वह अपनी माँ के साथ रहता था। उसके पिताजी का देहांत उसके जन्म के एक वर्ष पशचात हो गया था। उसकी माँ पूरा दिन मेहनत करती और उसे पालती थी। 


लेकिन राकेश बुद्धिहीन था। उसे हर पाठ बार बार पढ़ाया जाता था लेकिन वह कुछ देर बाद ही उसे भूल जाता था। इस बात से सभी अध्यापक परेशान थे। उन्होंने कई बार राकेश की माँ को कहा कि पढ़ाई इसके बस की बात नही है और राकेश भी कई बार बहुत उदास हो कर पूछता की माँ मुझे पढ़ाई समझ क्यों नही आती। लेकिन उसकी माँ हिम्मत नहीं हारती थी। वो कहती कि देख लेना एकदिन तुझे Best student award   मिलेगा मुझे तुझ पर बहुत भरोसा है। वह यह सुन कर खुश हो जाता और फिर वह ज्यादा मेहनत कर के परीक्षा उत्तीर्ण करने की कोशिश करता। 

इस बार उसने बहुत मेहनत की ओर आज वार्षिक परिणाम घोषित हुआ। उस दिन आज एक पत्र आया जो उसके स्कूल से था। वह दौड़ कर आया ओर मां से बोला माँ आज जरूर मेरा result बहुत अच्छा होगा पड़कर बताओ न कि क्या लिखा है।

माँ ने पत्र खोला ओर पड़ना शुरू किया उसमे लिखा था कि राकेश ने इस बार बहुत मेहनत की है। यह बहुत ही होनहार बच्चा है। ईस पर पूरे स्कूल को गर्व है। इसका दाखिला अगर आप चाहे तो बहुत बड़े स्कूल में करा दे ताकि यह बहुत अच्छा सीख सके। यह पड़कर मां की आंखे भर गई और राकेश भी खुश हो गया। माँ ने कहा बेटा मैं तेरा दाखिला बहुत बड़े स्कूल में करवाने जा रही हूं वो मेरी आर्थिक स्थिति से बहुत ज्यादा महंगा है लकिन जैसे तूने इस बार मेहनत की है वादा कर तू खूब मेहनत कर के मेरा नाम रोशन करेगा। 

राकेश ने कहा कि मां जब आर्थिक स्थिति अच्छी नही है तो मैं इसी विद्यालय में पड़  लूंगा। तो माँ ने कहा कि तू जब बहुत अच्छा पड़ेगा न तो हम बहुत अमीर हो जायेगे। तू जरुर जायगा बड़े स्कूल में।


राकेश ने वादा किया की वह बहुत पड़ेगा।

कुछ सालों के बाद राकेश को  best student award   मिला और उसकी पढ़ाई पूर्ण हुई। वह आज बहुत खुश था। उसे कई अच्छी jobs offer.  भी आने लगे वो घर लौटा तो माँ घर पर नहीं थी वो काम पर गयी थी।

वह घर की सभी चीजों को देख रहा था कुछ भी तो नहीं बदला था तभी उसकी नजर उसके पुराने स्कूल के खत पर पड़ी वह आज उसे पड़ने में समर्थ था।

उसने दौड़ कर खत उठाया। लेकिन इस खत में तो कुछ और ही लिखा था। 

लिखा था कि आपके बेटे को कोई भी नहीं पड़ा सकता। यह बुद्धिहीन है। इसका दाखिला कृपया आप विकलांग स्कूल में करवाये। हमारा समय व्यर्थ न करे। इसे आज स्कूल से निकाला जाता है।

वह रो पड़ा। 

इतने में उसकी माँ आ गयी बोली बेटा क्षमा करना मैंने तुझ से झूठ बोला और तेरा दिल दुखाया।

राकेश ने कहा माँ तेरा झूठ स्कूल के सच से हजार गुणा अच्छा था देख आज मुझे इसी कारण से best student award मिला है।

लेकिन माँ मेरी आँखों मे आंसू इसलिए है कि तू कितनी बहादुर है। हमारी आर्थिक स्थिति कितनी खराब थी ऊपर से मेरा ये पत्र लेकिन तूने हार नहीं मानी और मेरा होंसला बढ़ाया।

मैं तेरी हिम्मत को देख कर हैरान हूं माँ की पत्र पड़ते वक़्त तूने मुझे जरा भी अहसास नही होने दिया कि पत्र में क्या लिखा है।

धन्यवाद माँ।

U are the best mom in this world.

तो क्या लगता है कि झूठ सच मे सच को मात दे गया। अपना सुझाव जरूर दे। और अगर ये कहानी पसन्द आये तो शेयर करें।



Saturday, January 27, 2018

रहस्यमयी तोता। the secret of parrot, kids story with moral story time

रहस्यमयी तोता।। 




हेलो बच्चों आज पड़ेंगे एक बड़े अजीब तोते की कहानी। जिसे कोई भूत कहता था, ओर कोई प्रेत ओर कोई कहता था काला साया।

क्योंकि वो जहां भी जाता वहीँ काली हवाएं चलने लगती ओर  सभी उस से डर कर भाग जाते।



लेकिन एक दिन एक स्कूल की बस उस गांव में दिखाई दी जिसमे काफी बच्चे थे । जो कुछ दिन गांव में घूमने आए थे। वह तोता उन बच्चों के सामने भी गया लेकिन एकदम तेज काली हवा चलने लगी। सभी बच्चे बस में भाग कर चढ़ गए। लेकिन एक बहादुर बच्चा उस तोते के पीछे गया ओर उसने देखा कि तोता रो रहा था । उस बच्चे ने पूछा कि क्या हुआ तुम्हें तो तोता बोलने लगा । उसने कहा कि मैं कोई तोता नही हूँ। मै तो राजकुमार हूँ। 

लेकिन मुझे एक राक्षस ने तोता बना दिया और खूद वो मेरा रूप धारण कर के राजा बन गया है। उसने मुझे दो साल पहले तोता बना दिया और मेरे पिताजी को भी मार दिया । उसने मुझे पिंजरे में कैद किया था। लेकिन एक दिन मैं वहाँ से उड़ने में सफल हो गया। वो बहुत बुरा राक्षस है। वह सबका बुरा करता है और लोग समझते हैं कि मैं मनहूस हूँ मैने कई बार लोगो को असलियत बतानी चाही पर लोग मुझ से डर कर भाग गये। मैं चाह कर भी अपने राज्य को बचा पा रहा हूँ।

लेकिन तुम क्यों मेरे पीछे आ गए। तुम्हें डर नहीं लगा। तो बच्चे ने कहा कि मैंने तुम्हारी आँखों मे आंसू वहीं देख लिए थे। मैं समझ गया कि तुम्हें मदद चाहिए इसलिए मैं आया।

चलो हम मिलकर उस दुष्ट को सबक सिखाये। तोता बोला वो बहुत ताकतवर है जो भी उसके सामने जाता है वो उसे छू कर भस्म कर देता है। लेकिन वह बच्चा बहुत ही समझदार था।

उसने कहा जिसे ताकत नहीं हरा सकती उसे दिमाग हरा सकता है। उसने तोते के  कान में कुछ कहा। वो दोनों महल के पास गए और बच्चे ने कहा राजा के पास जा कर कहा की मैं जानता हूँ कि तुम राक्षस हो तुम ही गांव के लोगों को परेशान करते हो। यह सुनकर वह राक्षस गुस्से में लाल हो गया और बोला कि मैं अब तुझे नही छोडूंगा। बच्चे ने कहा कि मैं गाँव मे सबको बता दूंगा। 

इतने में राजा ने राक्षस रूप धारण किया ओर बच्चे को भस्म करने के लिये आगे बढ़ा। जैसे ही उसने हाथ आगे बढ़ाया तभी उसके सिर पर ऊपर का झूमर गिरा उसे बहुत दर्द हुई उसके सिर से खून बहने लगा और उसने अपने ही सिर पर हाथ रख लिया। वह भस्म हो गया।



वह झूमर तोते ने अपनी तेज चोंच से काटकर गिराया था। जो कि योजना के अनुसार एकदम सही समय पर गिरा। ये उनके आत्मविश्वास की वजह से ही सम्भव हुआ।

उसके मरते ही कला जादू खत्म हो गया 


ओर



तोता वापस राजकुमार बन गया ।

उसने बच्चे की बहादुरी पर उसे ईनाम दिया और उसका धन्यवाद किया। क्योंकि उस बच्चे ने न केवल राजकुमार को बचाया बल्कि सारे राज्य को बचाया।

शिक्षा- बुद्धि बल से अधिक बलवान होती है।

2- साहस से सब कुछ किया जा सकता है।

3- हमेशा बुराई का अंत होता है चाहे वह कितनी भी बलवान हो।



Friday, January 26, 2018

अधूरा ज्ञान। अधूरा ज्ञान खतरनाक। कहानी बच्चों के लिये। स्टोरी टाइम। adura gyan khatarnak

अधूरा ज्ञान



कहते है कि जितना ज्ञान लाभदायक होता है उससे कही ज्यादा अधूरा ज्ञान नुकसान दायक है।

चलो पड़ते है एक नई कहानी । 

एक गाँव में एक बालक था जो आधी अधूरी बात सुनकर ही दौड़ जाता कार्य करने और गलत कार्य कर के ही लौट ता सभी इसी कारणवश उसका मजाक बनाते थे। उसके पिता को उसकी बहुत चिंता थी। 

एक दिन उसके पिता ने अपने पुत्र को एक आश्रम में भेजा और कहा कि किसी काम को जल्दबाजी से मत करना और गुरु की हर बात मानना। इस बार तुम बहुत ही समझदार बनकर लौटोगे बस मेरी कही ये दो बाते मत भूलना।

बालक आश्रम पहुंचा वहां गुरु जी एक बड़ा ही विचित्र ज्ञान सीखा रहे थे। वो एक कौआ जो मर गया था उसे जिंदा करने की विधि बता रहे थे। वह बालक बहुत ही ध्यान से समझ रहा था। और कौआ भी वो विधि पूर्ण करते ही जी उठा उसने गुरु जी को धन्यवाद कहा और उड़ गया। सभी बहुत खुश हुए। 

गुरुजी ने कहा कि ये ज्ञान अभी अधूरा है इसे कोई भी शिष्य न आजमाए। 

अगले दिन सभी शिष्य लकड़िया काटने जँगल में गये ओर वहां पर किसी जीव की हड्डियां पड़ी थीं। उस बालक ने सोचा क्यों न मैं गुरुजी का पाठ आजमा के देखूं की मुझे कित्ते अच्छे से समझ आया है।

वह उसी विधि को करने लगा। बचे हुए छात्रों ने कहा कि मित्र ये हड्डियां किसी बड़े जानवर की लग रही है और वैसे भी गुरु जी ने मना किया है हमे ये विधि नही करनी चाहिए। 

पर उस बालक ने किसी की नही सुनी वह जल्दी ही उस जीव को जीवित करना चाहता था। वह विधि आगे बढ़ाता गया सभी छात्र आश्रम की तरफ दौड़ गये।

उस बालक ने भी अपनी विद्या से उन हड्डियों वाले जीव को जीवित कर दिया। पर ये तो बाघ था ओर जीवित होते ही वह उस बालक को खाने के लिये उसकी तरफ बड़ा। बालक ने कहा मैने तुम्हे जीवनदान दिया है और तुम शुक्रिया अदा करने की बजाए मुझे ही खाना चाहते हो। बाघ अपनी प्रवर्ति का आदि था उसने उसकी एक न सुनी और उस पर झपटा।

तभी गुरुजी वहाँ आ पहुंचे और उन्होंने उस बाघ को फिर उन्ही हड्डियों में परिवर्तित कर दिया।।

उस बालक ने गुरुजी ओर अन्य शिष्यो का शुक्रिया किया और क्षमा भी मांगी और कहा कि अब मैं हमेशा आज्ञा का पालन करूँगा।

शिक्षा- अधूरा ज्ञान हानिकारक हो सकता है।

2-सदैव अध्यापक की आज्ञा का पालन करना चाहिए।

3- किसी भी सीखे हुए कार्य को करने की जल्दबाजी नही करनी चाहिय।


If you like stories of story time website so kindly share it in your group.

Thanks you

Thursday, January 25, 2018

साधू और चूहा।। कहानी छोटी सी। kids story with moral.


 साधू और चूहा


एक बार की बात है एक चूहा था जो हमेशा बिल्ली से डर कर इधर उधर छिपता रहता। एक दिन बिल्ली उसके पीछे पड़ी थी। तभी वह भागते भागते एक कुटिया में पहुंचा वहाँ एक साधूतपस्या कर रहे थे। वह चूहा डर से कांप रहा था। साधू ने पूछा कि क्या हुआ तुम इतने भयभीत क्यों हो। चूहे ने सभी कहानी बयां की। साधू ने कहा ये तो बिल्ली का करम है। पर चूहे ने कहा कि अगर मैं बिल्ली होता तो मुझे कोई डर नहीं होता आप तो तपस्वी है मुझे कृपया बिल्ली बना दीजिये। साधू जी ने कहा तथास्तु ओर चमत्कार!! चूहा बिल्ली बन गया। वह बहुत खुश हुआ ।

अब वह सड़क पर रौब से चलने लगा उसे अब बिल में छुपने की जरूरत नही थी। वह चिंता मुक्त्त महसूस कर रहा था कि अचानक!!!!


एक कुत्ता आया और उसकी जान के पीछे पड़ गया। वो भागा ओर साधू जी की कुटिया में पहुंचा वह बहुत कांप रहा था। साधू जी ने पूछा अब क्या हुआ अब तो तुम बिल्ली हो फिर क्यों कांप रहे हो। चूहा बोला महाराज मुझे कुत्ते से बहुत डर लग रहा है वो मुझे मार डालेगा। आप कृपया मुझे कुत्ता बना दीजिये। 

साधु ने कहा तथास्तु! वह अब कुत्ता बन गया वो बड़े मजे से घूमने लगा गली गली। अब उसे किसी का डर नही था। लेकिन घूमते घूमते जब वह अपने इलाके के बाहर निकला तो कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया।

वह फिर साधू जी के पास आया और सारा हाल बताया। अब उसने कहा मुझे शेर बना दो फिर कोई डर नही होगा।

साधु जी ने उसे शेर बना दिया। वह जैसे ही शेर बन कर बाहर निकला कि सभी लोग डरने लगे। वह खुश हो गया। लेकिन लोगों ने सरकस के लोगो को बुलाया उसे पकड़ने के लिये। वह फिर डर के भागा ओर कुटिया में पहुंचा। साधू जी ने कहा अब क्या हुआ। उसने कहा मुझे इंसानों से बहुत डर लगता है आप मुझे इंसान बना दीजिए। साधू जी ने कहा तथास्तु लकिन ये क्या!!!! 

वह इंसान नही दुबारा चूहा बन गया। वह बोला ये क्या किया महाराज??

साधू जी ने कहा कि तेरा दुख मैं दूर नहीं कर सकता क्योंकि तेरा केवल शरीर चूहे का नही है दिल भी चूहे का है। तुझे जो चाहे बना दू लेकिन डरना तेरे स्वभाव में है।

चूहा समझ गया। कि कोई भी शरीर से नही हिम्मत से बड़ा होता है। अगर हिम्मत हो तो चूहा भी शेर से कम नही है।

वह अब हिम्मत से जिंदगी जीने लगा उसने मोत का डर त्याग दिया। अब वह जिंदगी असली खुशी के साथ जी रहा था। 

शिक्षा- मृत्यु का भय जिंदगी को नीरस बना देता है।
2- हिम्मत से हर चुनोती का सामना किया जा सकता है।

Wednesday, January 24, 2018

विद्या का महत्व। story on importance of knowledge. Kids story time.

विद्या का महत्व।



प्यारे बच्चों आज मैं लेकर आई हूँ बड़ी ही मजेदार कहानी। यह कहानी है दो दोस्तों की। एक का नाम था क्रिश ओर दूसरे का नाम रोहित था। दोनों पक्के दोस्त थे।



क्रिश बहुत अमीर था। उसके पास किसी चीज की कमी नहीं थी। वह जो चाहता उसे उसी वक़्त वो मिलता। लेकिन वह पढ़ाई नहीं करता था। वह पूरा दिन खेलता ओर मस्ती करता।

रोहित बहुत गरीब था। उसके पास स्कूल की फीस ओर किताबें आदि खरीदने के भी पैसे नहीं थे। पर उसकी मदद अकसर क्रिश कर दिया करता। जिससे वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके। रोहित बहुत मेहनती था। वह मन लगाकर पढ़ाई करता और क्रिश को भी समझाता की तू भी पड़ा कर यार विद्या ही असली धन है। लेकिन क्रिश हस कर टाल देता और कहता कि तू पढ़ यार मेरे पापा के पास तो बहुत धन है। मुझे किसी चीज की कमी नही है। मेरी तो सात पीढ़ियां भी आराम से बैठ कर खा सकती है।


रोहित उस से कहता कि विद्या धन सर्वोपरि है। इसे प्राप्त करना केवल धन कमाने के लिय ही नही बल्कि एक अच्छा इंसान बनने के लिये भी जरूरी है। लेकिन क्रिश उसकी किसी बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देता और खेल में लगा रहता।


कई साल बाद रोहित को अच्छे पद पर सरकारी नोकरी मिल गयी। वह अब क्रिश से बहुत दूर था। वह क्रिश को काफी याद करता था। लकिन जब वह कालेज में आया तो क्रिश ने पढ़ाई छोड़ दी थी और वह विदेश चला गया था। बाद में उसकी कोई खबर नही मिली।

आज रोहित की जिंदगी का बहुत खास दिन था क्योंकि वह उच्च पद पर आसीन हुआ था। वह सोच रहा था कि अगर क्रिश उसकी सहायता नहीँ करता तो वो आज इस स्थान पर नही होता।

तभी उसके दरवाजे पर दस्तक हुई उसने आज्ञा दी अन्दर आने के लिये। एक चपरासी था जो बकशीश लेने आया था। वह बोला नोकरी मुबारक हो साहब। भगवान और तरक्की दे आपको। रोहित ने कुर्सी दीवार की तरफ घूमा रखी थी। वह जैसे ही आंसू पोंछ कर उस चपरासी की तरफ़ मुड़ा अरे!!

ये क्या सामने तो क्रिश खड़ा था। रोहित ने क्रिश को गले लगा लिया और रोने लगा क्रिश मेरे यार तू कहाँ चला गया था , देख आज तेरे कारण ही मैं यहाँ पहुंचा हूँ।  तेरा बहुत बहुत धन्यवाद मेरे यारा।

पर क्रिश उस से नजरे चुरा रहा था क्योंकि वो अपने आपको बहुत ही छोटा समझ रहा था और बहुत शर्मिंदा भी हो रहा था।

लेकिन रोहित ने उसे खूब आदर सत्कार से बिठाया ओर उसका सारा हाल पूछा।

क्रिश ने कहा यारा तू ठीक कहता था कि विद्या ही सबसे अनमोल धन है। मैंने तेरी बात नही मानी। और आज यह दिन देख रहा हूँ।

रोहित ने उसकी सहायता की ओर उसे एक कारोबार खुलवा दिया और कहा कि अब तू मेहनत करना मत छोङना। क्रिश कुछ ही सालो में अमीर हो गया और रोहित के साथ  मजे से भाई की तरह रहने लगा।


शिक्षा---1-  विद्या धन ही असली धन है।

           2-   एक अच्छा दोस्त जिंदगी बदल देता है।

          3- नेकी का परिणाम अच्छा ही मिलता है।

           

Monday, January 22, 2018

घमण्डी शेर। कहानी । story time..

घमण्डी शेर। 

एक  बार की बात है एक जंगल था। जैसे कि हर जंगल का राजा शेर होता है उस जंगल का भी राजा शेर ही था। हर राजा को अपनी प्रजा का खयाल रखना चाहिए। लेकिन यहाँ एकदम उल्टा था। शेर को केवल अपने से ही प्यार था। वो जो भी जानवर देखता उसे मार कर खा जाता। 

उसके इस बर्ताव से सभी जंगल के जीव परेशान थे। पर करते भी तो क्या जो शेर से बात करने जाता शेर उसे ही खा जाता। इससे सभी जीव डरे डरे रहने लगें। उनका सुकून ही छिन गया। लेकिन वहाँ एक छोटा सा चूहा था जो बहुत ही बुद्धिमान था।


वह बोला क्यों न हम सभी मिलकर शेर से बात करे और उसे समझाए। सभी को लगा कि ठीक बात है रोज रोज डर डर के जीने से तो अच्छा है कि एक बार हिम्मत कर के बात कर ले। लेकिन  शेर को बुला के कोन लाएगा ये समस्या थी। चूहे ने कहा कि मेरी बतायी हुई जगह पर आप सभी पहुँच जाओ मै उसे बुला लाऊँगा। वह शेर के पास गया। शेर खुश हो गया कि आज तो शिकार खुद चलकरआया है। वो जैसे ही झपकते हुए चूहे की ओर बड़ा। चूहा बोला मुझे खा लेना पर मुझे खाने से महाराज आपका पेट नही भरेगा। 

मै आपको वहां लेकर जा  सकता हूँ जहाँ बहुत सारे जानवर हैं। शेर ने सोचा कि बात तो ठीक है इसे खा कर तो मेरी दाढ़ भी गीली नहीं होगी। इसके साथ चलता हूँ। शायद  पार्टी हो जाये। 

शेर चूहे के साथ जैसे ही वहाँ पहुंचा वहाँ तो कोई नहीं था। शेर ने गुस्से से कहा कि यहाँ तो कोई नही है तो चूहा बोल लगता है आपसे डर कर सभी छुप गए हैं इस कुएं मे । शेर कुँए की तरफ बड़ा और अंदर झांकने लगा इतने में सभी जानवरों ने मिलकर उसे कुँए में धकेल दिया।

शेर डूबने लगा । चूहे ने कहा कि हाथी दादा तुम्हें बाहर निकाल देगे लेकिन तुम वादा करो कि अब हमें नही मारो
गे  शेर बहुत घमण्डी था वह बोला कि एक बार मैं बाहर तो निकल जाऊ फिर तुम में से कीसी को नहीं छोडूंगा। यह देख कर बूढ़े हाथी ने कहा कि इसे मर जाने दो इस पर दया का कोई फायदा नही है। ये घमण्डी है जो कभी नही सुधरेगया।

अब शेर के पुत्र को राजा बनाने का फैसला हुआ वह बहुत ही दयालु था। लेकिन उसने कहा कि मैं आप सभी की हमेशा
रक्षा करूगा। लेकिन आप तो काफी समझदार है। इसलिय अब से कोई राजा नही होगा। सभी मिल जुल कर रहेंगे और सभी समस्याओं का हल निकलेगें। यह सुनकर सभी प्रसन्न हुए।

अब कोई भय नही था। सभी जानवर आराम से रहते थे।


शिक्षा-1  छोटा सा चूहा भी बुद्धिमत्ता से बड़े शेर को हरा सकता है
2- घमण्ड का हमेशा नाश होता है।
3- ज्यादा के लालच में सर्वनाश होता है। जितनी भूख हो उतना ही खाए।
4- एकता में बल है।
5- बहादुरी में ही जीत है। अगर नन्हा चूहा भी डर जाता तो शेर कभी नही मरता। उसकी बहादुरी ने ही शेर को हराया।
6- डर के आगे जीत है। 

Friday, January 19, 2018

बच्चों का स्वच्छता अभियान।।। कहानी छोटी सी।

बच्चों का स्वछता अभियान।।।

एक कालोनी थी जो बहुत ही सुंदर और स्वच्छ थी। वही सभी मिलकर रहते थे। लेकिन पास में ही एक बस्ती थी जो बहुत ही गन्दी थी। वहां कूड़े के ढेर जमा थे और जगह जगह गड्ढे थे जिनमें बारिश का पानी जमा था । वहाँ बहुत से मक्खी ओर मच्छर इकठ्ठे होने लगे ओर वहाँ से वो मच्छर मक्खियाँ सभी कालोनी की तरफ आने लगे। जूठे बरतनों पर मख्खियों की पार्टी होने लगी।






जिस से कालोनी के लोग काफी परेशान हो गये उन्होंने बहुत बार mcd को खत लिखा । mcd से कई बार सफाई हुई पर थोड़े दिनों में फिर वैसा ही हाल हो जाता। कई तरह की गम्भीर बीमारियां फैल गई।  सभी बहुत चितिंत थे। लेकिन किसी को समझ नहीं आया कि बस्ती के लोगो को कैसे समझाया जाए।।


पर उसी कालोनी के बच्चे बहुत सक्रिय थे। इस बार छुट्टियों में उन्होंने ठानी की वो गन्दगी को जड़ से मिटा देंगे। उन्होंने स्वच्छता अभियान चलाया ओर बस्ती में गये। 

उन्होंने सभी बस्ती के लोगो को इकट्ठा करने के लिये घोषणा की कि शनिवार को सब लोगों को कपड़े खिलौने , साबुन , शैम्पू आदि मिलेंगे।

सभी लोग इक्कठे हो गये। बच्चो ने घर के पुराने कपड़े खिलोने इत्यादि लिये ओर वहां चले गए।

उन्होंने सबकी एक फोटो खींची जिसमे उन लोगो ने बहुत मैले कुचैले कपड़े पहने थे। फिर उन्होंने कहा कि अब सबको नहा धोकर ये कपड़े पहनने है। सभी कपड़े पहन कर तैयार हो गये। बच्चों ने पूछा पहले अच्छा लग रहा था या अब लग रहा है। वो बोले अब ज्यादा हम सक्रिय महसूस कर रहे हैं।

फिर बच्चों ने मिलकर पूरी बस्ती साफ़ की  जिसमे उन्हें पूरा दिन लग गया। साथ ही उन्होंने मिट्टी और पत्थर डलवा दिये खड्डों में।




शाम को उन्होंने एक छोटी सी पार्टी रखी जिसमे सभी बस्ती के लोगो को बुलाया गया। बच्चे भी नहा के तैयार हो गये।

अब क्या था बस्ती के सभी लोग खुशी खुशी आ गए। बच्चों ने उन्हें शरबत दे कर बिठाया ओर गन्दगी से होने वाली खतरनाक बीमारियों के बारे में भी बताया। बच्चों ने उन्हें शौचालय इस्तेमाल करने के फायदे बताये ओर समझाया कि जितना साफ़ घर को रखना जरूरी है। उतना ही बाहर भी सफाई जरूरी है। बच्चों ने उन्हें हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र सिंह मोदी के सफाई अभियान से भी अवगत कराया । उन्होंने मोदी जी की वीडियो दिखाई जिसमें वो खुद सफाई कर रहे हैं।






बस्ती वालो को मोदी जी को सफाई करते हुए देख कर समझ आ गया कि सफ़ाई बहुत जरूर है तभी तो मोदी जी खुद आगे बढ़ कर सड़क की सफाई कर रहे है।

बच्चो ने उन्हें  बताया कि एक स्वच्छ माहौल में ही एक अच्छा जीवन यापन किया जा सकता है।


सभी अच्छे से समझ गए और कालोनी के लोगो ने भी बच्चों को बहुत शाबाशी दी। ओर उनके कार्य की बहुत प्रशंसा की। आज उन्होंने वो कर दिखाया था जो बहुत ही मुश्किल कार्य था।

अब सभी ने खाना खाया और  स्वच्छता अभियान को सराहा। बस्ती के लोगो ने भी बच्चों को धन्यवाद किया।




बस्ती के लोग अब स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने लगे और कुछ ही दिनों में बीमार लोग भी स्वस्थ हो गए । अब मच्छर ओर मख्खियां भी गन्दगी की तलाश में कही दूर निकल गये।।




सभी बच्चों को ईनाम के रूप में पिकनिक पर अगले दिन ले जाना तय हुआ। वैसे तो जो उन्होंने किया था। वो हर ईनाम से परे था। जितनी प्रशंसा करो उतनी ही कम है।







स्वच्छता अभियान  के लिये जब पूरा भारत  जागरूक होगा तभी ये सपना सजग होगा।

धन्यवाद


Thursday, January 18, 2018

छोटी मछलियां। कहानी बच्चों के लिये। शिक्षा से पूर्ण। व्हेल मछली की कहानी।

छोटी मछलियां


एक तालाब था। उसमे काफी मछलियां थी। लेकिन एक मछली बढ़ी थी व्हेल थी वो।



वो अपने आपको बहुत ताकतवर समझती थी। वह छोटी मछलियों को डराती धमकाती ओर कभी कभी भूख लगने पर उन्हें खा भी लेती थी। 

छोटी मछलियां बहुत परेशान थी। 



हर के दुखों का अंत होता है। उनके भी दुख के अंत का समय आ गया। आज तालाब में कुछ मछुआरे आये और जाल बिछाया। 



सभी मछलिया डर कर इधर उधर भागने लगी पर जाल में फस ही गयी। लेकिन ये क्या छोटी मछलियां तो जाल  के छेदो में से निकल गयी बाहर। क्योंकि उनका आकार छोटा था।

लेकिन बड़ी मछली फस गयी और अपने आप को नही बचा पाई।


छोटी मछलियां खुश हो गयी। और उन्हें समझ आया कि छोटा होना भी बुरा नहीं है। हर एक को भगवान ने अलग आकार दिया है वो ही सबकी रक्षा करता है। 

भगवान पर हमेशा विश्वास बनाये रखना चाहिये।

बुराई का अंत जरूर होता है थोड़ा विलम्ब हो सकता है। भगवान के घर देर है पर अंधेर नही।

धन्यवाद।।

शेयर करे अगर पसन्द आई हो तो।।,👍👍☺☺

Wednesday, January 17, 2018

चुन्नू मुन्नू दो भाई। छोटी कहानी बच्चों के लिए।

चुन्नू मुन्नू दो भाई।



ये कहानी है दो भाइयों की एक का नाम चुन्नू था और दूसरे का मुन्नू। दोनो जुड़वा थे। बहुत शरारती ओर नटखट थे दोनो ही लेकिन बहुत प्यारे भी।



वो दोनों पूरा दिन शरारत करते रहते थे। लेकिन वो दोनो एक चीज को देख कर लड़ पड़ते थे। इसलिए हर चीज उनके लिये एक जैसी ओर दो आती थी। ताकि वो ना लड़े। इस बात से उनके माता पिता बहुत परेशान थे। लेकिन करते भी क्या उन दोनों को समझाने की उन्होंने बहुत कोशिश की पर कोई फायदा नही हुआ।



एक दिन चुन्नू मुन्नू स्कूल से लौटे तो माँ घर पर नही थी सामने मेज पर एक जूस का गिलास रखा था। चुन्नू की नजर उस पर पड़ी वो दौड़ उसे लेने के लिये। तभी मुन्नू ने यह देखा तो वो भी दौड़ा। चुन्नू ने गिलास उठा लिया और जैसे ही पीने लगा मुन्नू ने गिलास खींचना शुरू किया वो कहता कि ये मुझे दो मै पियूँगा। दोनो में लड़ाई हो गयी । और ईस लड़ाई में गिलास नीचे गिर कर टूट गया। 



दोनो को भूख लगी थी मगर गिलास टूट गया। अब वो दोनो रोने लगे। लेकिन ये क्या रसोई में एक गिलास जूस ओर रखा था। उस पर मुन्नू की नजर पड़ी। माँ को पता था कि दोनों को हर चीज अलग चाहिए इसलिये वो दो गिलास जूस के रख कर गयी थी। लकिन जल्दी जल्दी में शायद वो एक गिलास रसोई में ही छोड़ गई।

मुन्नू दौड़ा ओर गिलास उठा लाया। मुन्नू ने चुन्नू को कहा कि लो ये गिलास तुम पी लो । मेरी वजह से पहला गिलास टूट गया। तो चुन्नू बोला नही भाई गलती मेरी ही थी । लड़ाई मै भी तो कर रहा था।



इतने में माँ आ गयी ओर दोनो भाइयों मे ये बदलाव देक्ज कर खुश हो गयी। वह बोली कि चुन्नू आधा गिलास तुम पी लो और मून्नु आधा तुम पी लो। दोनों को जूस मिल जायेगा और साथ बांट के पीने से प्यार बढ़ेगा।

दोनो खुश हो गए और अब दोनों भाई मिल जुल कर रहने लगे। वो हर चीज बांट के इस्तेमाल करते थे। ओर ये देख कर उनके माता पिता भी प्रसन्न हो गए।


सीख:: मिलजुल कर रहना चाहिए।  लड़ाई में हमेशा नुकसान होता है। लेकिन प्यार से रहने पर हमेशा अच्छ होता है। साथ मिलकर हर परेशानी का हल निकला जा सकता है।

संगठन में बल है।।।
एकता में ताकत है।।।
प्यार से रहने में ही भाईचारा है।।।
बांट के खाने में ही प्यार है।।।

साहसी चिड़िया।

साहसी चिड़िया।  



एक  जंगल था जो बहुत ही घना था। उसमें कई जानवर रहते थे। वहीं एक छोटी सी प्यारी सी चिड़िया भी थी जो थी तो छोटी पर बहुत ही बहादुर थी। 

एक बार उस जंगल मे आग लग गयी । सभी जानवर जान बचाकर भागने लगे। तभी चिड़िया ने सोचा कि इसका मुक़ाबला करना चाहिए। किसी ओर जंगल मे भी तो रहना आसान नही होगा। अपना घर छोड़ कर भाग जाना कहाँ की समझदारी है।

उसे एक तरकीब सूझी वो पास के तालाब से चोंच में पानी भर कर लाती ओर उसे आग में डालती। वो बार बार पानी भर कर लाती ओर आग में डालती। 

ये देख कर सभी जानवर बोले कि चिड़िया तुम ये क्या कर रही हो एक एक बूंद पानी से ये भीषण आग नही बुझेगी। जान बचा के भागो हमारे साथ दूसरे जंगल मे नया घर बना लेंगे।

चिड़िया बोली कि आग को मेरे लिये बुझाना आसान नही है। पर घर छोड़कर जाना भी तो आसान नही है। इसलिए मैं अपनी आखिरी सांस तक कोशिश करुँगी औऱ अगर आप सभी साथ दो तो ये आग जल्दी ही बुझ जायेगी।

छोटी चिड़िया ने सबका होंसला बड़ा दिया। फिर क्या था हाथी सूंड में पानी भर कर लाये, पक्षी चोंच में , बन्दरो ने हरे पत्ते आग में डाले और शेर लोमड़ी आदि ने मिट्टी खोदी ओर डाली। आग झट से बुझ गयी।

सभी बहुत खुश हुए।।।।

ओर फिर जंगल मे आराम से रहने लगें। चिड़िया को बहादुरी के पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।

धन्यवाद।।
अगर आपको पसंद आये तो शेयर जरूर करे।
👍👍👍👍👍💐💐
इस कहानी की एक नही कई शिक्षा है।

1::: इंसान छोटा उमर या आकार से नहीं होता। अगर हौंसला बुलन्द हो तो वो बड़ो को भी कुछ सिखा सकता है।

2:: संगठन में बल है।।

3:: एक हौसले वाला व्यक्ति हर एक कि शक्ति को बढ़ाता है। ओर डरपोक व्यक्ति भय ही फैलाता है।


4:: अपना घर छोड़ना समझदारी नहीं होती परिस्थितियों को अनुकूल करने की कोशिश करनी चाहिए भागने की बजाए।

5:: मिलजुलकर परेशानी का हल निकल पाना ओर भी आसान हो जाता है।

6:: कई बार परिवार का सबसे छोटा बच्चा भी परिवार को एक नई ओर अच्छी राह दिखा देता है। इसलिये बच्चों को कभी कमजोर ना समझे।।।


Cindrela and her prince. सिंडरेला ओर राजकुमार।

 सिंडरेला ओर राजकुमार।  


हर लड़की बचपन से ही कहानी सुनती है उसके सपनो के राजकुमार की। सिंडरेला भी यही कहानियां सुनकर बड़ी हुई कि उसका राजकुमार दो सफेद घोड़ों पर आयगा ओर उसे सपनो की दुनिया मे ले जायेगा।

लेकिन उसकी जिंदगी में अचानक एक तूफान आया जो उसकी माँ को ले गया। उसकी माँ चल बसी। उसके पिताजी एक व्यापारी थे वह अब सिंडरेला के पास हमेशा नही रह सकते थे और सिंडरेला पूरा दिन माँ को याद कर के रोती रहती थी। यह देख उसके पिताजी ने दूसरी शादी कर ली। उसकी सौतेली माँ की दो और बेटियां भी थी। सिंडरेला सबको देख कर बहुत खुश हुई। लेकिन सिंडरेला बहुत सुंदर थी जिसके कारण उसकी सौतेली माँ और उसकी बेटियां उस से जल गई थी।

अभी दुख के बादल छटे भी नही थे कि सिंडरेला के पिताजी काम के लिये बाहर गए और फिर कभी नही लोटे। वो बहुत ही दुखी हो गयी। लेकिन अब उसकी सौतेली माँ और बहनों का पूरे घर पर राज हो गया।

वो पूरा दिन सिंडरेला से नोकरो की तरह काम करवाती ओर अपना जूठा खाना उसे खाने को देती ।कभी कभी तो सिंडरेला भूखी भी सो जाती थी। 



वह फिर से पूरा दिन रोती रहती और उसका दुख देख कर चूहे ओर चिड़िया उसके दोस्त बन गये।






एक दिन राजा के यहाँ से घोषणा हुई कि एक बड़ा सम्मेलन होगा जिसमें पूरा गांव को बुलाया गया और कवारी कन्याओं को भी क्योंकि उनमें से एक को राजकुमार के लिये चुना जाना था।

सिंडरेला की बहने जाने के लिये तैयार होने लगी । सिंडरेला ने उन्हें खूब सजाया क्योंकि सिंडरेला एक नेक दिल वाली लड़की थी। लेकिन जब उसने माँ से पूछा कि क्या वो भी जा सकती हैं। तो उसकी माँ ने कहा कि उसके पास तो अच्छे कपड़े नही है इसलिये वो नही जा सकती।

वो अपने कमरे में गयी वहां पर उसकी माँ का शादी का गाऊन रखा था पर वह बहुत पुराना ओर फटा हुआ था वो इसे सिलने लगी जिसमे चूहों ने ओर चिड़िया ने उसकी मदद की ओर वो तैयार हो कर नीचे आ गयी। उसके कपड़े अच्छे नही थे पर तब भी वह बहुत सुंदर लग रही थी जिस के कारण उसकी बहने चिढ़ गई और ग़ुस्से में उन्होंने उसका गाऊन फाड़ दिया और वो माँ के साथ चली गयी महल में।

सिंडरेला बहुत रोने लगी कि तभी एक बहुत खूबसूरत परी प्रकट हुई और बोली कि तुम नेक दिल हो मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूँ। 





उसने छड़ी से जादू किया और सिंडरेला का फटा हुआ गाऊन एक बेहतरीन गाऊन में बदल गया। उसके पैर में कांच की सुंदर सैंडल आ गयी और वहाँ रखा कददू रथ में बदल गया। चूहे घोड़े बन गए और चिड़िया एक सारथी।



सिंडरेला फटाफट रथ पर चढ़ गई लेकिन परी ने कहा कि एक बात मत भूलना रात को 12 बजे से पहले ही घर पर आ जाना नही तो ये सब गायब हो जायेगा। सिंडरेला ने कहा ठीक है।


सिंडरेला जैसे ही महल पहुंची ।।।





राजकुमार की नजरें उस पर पड़ी और उसे उन्होंने अपने साथ नृत्य करने के लिये बुलाया। वो उस पर से नजरे हटा ही नही रहे थे। बाकी सभी लड़कियां ये देख कर जल गई। लेकिन सिंडरेला भूल गयी कि उसे 12 बजने से पहले ही वापस जाना है वह भी राजकुमार को देख कर मानो सभी दुख भूल गई थी। तभी उसे अचानक याद आया कि उसे घर लौटना है उसने घड़ी देखी तो 11:55 हुए थे वो भागी वहाँ से। राजकुमार भी पीछे भागा पर उसे बाहर कोई नही दिखाई दिया। लेकिन सिंडरेला की एक सैंडल टूट गयी थी जो वही पड़ी थी। 

राजकुमार ने उसे उठाया और घोषणा की मैं कल सबके घर आऊँगा ओर अपने हाथों से ये सैंडल सभी लड़कियों को पहनाऊंगा जिसे ये फिट हो गयी वोही मेरी राजकुमारी होगी।

घर आने पर माँ ने गुस्सा होकर सिंडरेला को कमरे में बंद कर दिया। जब सुबह हुई तो राजकुमार सभी के घर गए लेकिन वो सैंडल किसी को फिट नही हुई और अंत मे वो सिंडरेला के घर आये। 

माँ ने अपनी बेटियों को बुलाया और हर कशिश की उन्हें वो सैंडल पहनाने की पर वो फिट नही हुई। अब राजकुमार की नजर बन्द कमरे पर पड़ी जहां चुहे ओर चिड़िया शोर कर रहे थे उसने ताला तोड़ा ओर अन्दर गया। ये क्या अंदर एक लड़की बैठी थी जिसके कपड़े फ़टे हुए थे। राजकुमार ने पूछा की कल तुम महल से आई थी? ये सैंडल तुम्हारी है? पर सिंडरेला ने जब बहन को देखा तो उसने कहा कि ये सेंडल इन दोनों में से एक कि है मै तो कल नही गयी थी महल।

राजकुमार को पूरा यकीन था की यही है वो लड़की। उन्होंने जैसे ही सैंडल उसे पहनाई वो फिट हो गयी। राजकुमार उसके कदमो में बैठ गया और उसे शादी करने के लिये कहने लगा। वो मान गयी। 

अंत में उसे राजकुमार मिल ही गया। और नेकी की जीत हुई।। सिंडरेला महल में राजकुमार के साथ खुशी खुशी रहने लगी।         

अच्छाई  को नही छुपाया जा सकता। बुराई की कभी नही जीत होती। भगवान भी अच्छे इंसान की मदद करने जरूर आते हैं। 
एक घड़े मे अच्छाई रखो ओर बांटो वो कभी खाली नही होगा।
एक घड़े में बुराई भरो ओर भरते ही जाओ वो घड़ा फुट जाएगा। 

धन्यवाद।।
If you like please share it on your sites.👍👍👍👍👍👍👍






कौआ चला हंस की चाल ओर अपनी भी चाल भूल गया। कहानी छोटी सी पर शिक्षा बड़ी।

कौआ चला हंस की चाल ओर अपनी भी चाल भूल गया। 



एक जंगल मे एक कौआ था। वो बहुत घमण्डी था। उसे लगता था वो हर काम दो मिनट में ओर सबसे पहले कर सकता है। वो सबसे होशियार है।

वो हर एक को अपनी होशियारी से मूर्ख बनाता था। 

सभी अन्य जानवर उससे बहुत परेशान थे। वही एक हंस था जो बहुत बूढ़ा था। उसने उसे सबक सिखाने की सोची। वो कोए से मिला और बोला कि मै तो बहुत काबिल हूँ। मै बहुत ऊंचा उड़ता हूँ। 

इस पर कौआ हसा ओर बोला की मैं आपसे ऊँचा उड़ सकता हूँ। दोनो में प्रतियोगिता तय हुई।

कौआ ऊँचा उड़ा ओर जीत गया। 

हंस ने कहा कि तुम तो सही में सभी काम कर सकते हो तुम बहुत बहादुर हो। तुम सभी काम कर सकते हो। पर क्या तुम पानी मे चल सकते हो।



कौआ इतना घमण्डी था कि उसने बिना सोचे समझे हाँ कर दिया। और झट से पास के तालाब में कूद गया। और उसमें चलने की कोशिश करने लगा। लकिन ये क्या वो तो पूरा गीला हो गया ओर डूबने लगा। 

इस पर हंस कूदा तालाब में ओर कौए को बचा लिया। कौआ बहुत शर्मिंदा हुआ और उसे अपनी गलती का अहसास भी हुआ। उसने सबसे शमा मांगी और घमंड त्याग दिया।

क्योकि उसे समझ आ गया कि हर एक को भगवान ने अलग काबिलियत दी है। कोई उड़ सकता है और कोई तैर सकता है।

कोई तेज चल सकता है ओर कोई तेज दौड़ सकता है। 

हमे अपनी काबिलियत पर गर्व होना चाहिए पर घमण्ड नही।

इसे कहते है कौआ चला हँस की चाल ओर अपनी भी चाल भूल गया।

धन्यवाद।।
अगर पसन्द आए तो शेयर जरूर करे। 
👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍