ऐसा झूठ जो सच से बढ़कर है।
कहते है ऐसा झूठ जो कल्याण कर दे वो सच से कहीं ज़्यादा बढ़कर होता है।
आइये यह बात कितनी सही है हम इस कहानी को पढ़कर अनुमान लगाए।
एक लड़का था जिसका नाम राकेश था। वह अपनी माँ के साथ रहता था। उसके पिताजी का देहांत उसके जन्म के एक वर्ष पशचात हो गया था। उसकी माँ पूरा दिन मेहनत करती और उसे पालती थी।
लेकिन राकेश बुद्धिहीन था। उसे हर पाठ बार बार पढ़ाया जाता था लेकिन वह कुछ देर बाद ही उसे भूल जाता था। इस बात से सभी अध्यापक परेशान थे। उन्होंने कई बार राकेश की माँ को कहा कि पढ़ाई इसके बस की बात नही है और राकेश भी कई बार बहुत उदास हो कर पूछता की माँ मुझे पढ़ाई समझ क्यों नही आती। लेकिन उसकी माँ हिम्मत नहीं हारती थी। वो कहती कि देख लेना एकदिन तुझे Best student award मिलेगा मुझे तुझ पर बहुत भरोसा है। वह यह सुन कर खुश हो जाता और फिर वह ज्यादा मेहनत कर के परीक्षा उत्तीर्ण करने की कोशिश करता।
इस बार उसने बहुत मेहनत की ओर आज वार्षिक परिणाम घोषित हुआ। उस दिन आज एक पत्र आया जो उसके स्कूल से था। वह दौड़ कर आया ओर मां से बोला माँ आज जरूर मेरा result बहुत अच्छा होगा पड़कर बताओ न कि क्या लिखा है।
माँ ने पत्र खोला ओर पड़ना शुरू किया उसमे लिखा था कि राकेश ने इस बार बहुत मेहनत की है। यह बहुत ही होनहार बच्चा है। ईस पर पूरे स्कूल को गर्व है। इसका दाखिला अगर आप चाहे तो बहुत बड़े स्कूल में करा दे ताकि यह बहुत अच्छा सीख सके। यह पड़कर मां की आंखे भर गई और राकेश भी खुश हो गया। माँ ने कहा बेटा मैं तेरा दाखिला बहुत बड़े स्कूल में करवाने जा रही हूं वो मेरी आर्थिक स्थिति से बहुत ज्यादा महंगा है लकिन जैसे तूने इस बार मेहनत की है वादा कर तू खूब मेहनत कर के मेरा नाम रोशन करेगा।
राकेश ने कहा कि मां जब आर्थिक स्थिति अच्छी नही है तो मैं इसी विद्यालय में पड़ लूंगा। तो माँ ने कहा कि तू जब बहुत अच्छा पड़ेगा न तो हम बहुत अमीर हो जायेगे। तू जरुर जायगा बड़े स्कूल में।
राकेश ने वादा किया की वह बहुत पड़ेगा।
कुछ सालों के बाद राकेश को best student award मिला और उसकी पढ़ाई पूर्ण हुई। वह आज बहुत खुश था। उसे कई अच्छी jobs offer. भी आने लगे वो घर लौटा तो माँ घर पर नहीं थी वो काम पर गयी थी।
वह घर की सभी चीजों को देख रहा था कुछ भी तो नहीं बदला था तभी उसकी नजर उसके पुराने स्कूल के खत पर पड़ी वह आज उसे पड़ने में समर्थ था।
उसने दौड़ कर खत उठाया। लेकिन इस खत में तो कुछ और ही लिखा था।
लिखा था कि आपके बेटे को कोई भी नहीं पड़ा सकता। यह बुद्धिहीन है। इसका दाखिला कृपया आप विकलांग स्कूल में करवाये। हमारा समय व्यर्थ न करे। इसे आज स्कूल से निकाला जाता है।
वह रो पड़ा।
इतने में उसकी माँ आ गयी बोली बेटा क्षमा करना मैंने तुझ से झूठ बोला और तेरा दिल दुखाया।
राकेश ने कहा माँ तेरा झूठ स्कूल के सच से हजार गुणा अच्छा था देख आज मुझे इसी कारण से best student award मिला है।
लेकिन माँ मेरी आँखों मे आंसू इसलिए है कि तू कितनी बहादुर है। हमारी आर्थिक स्थिति कितनी खराब थी ऊपर से मेरा ये पत्र लेकिन तूने हार नहीं मानी और मेरा होंसला बढ़ाया।
मैं तेरी हिम्मत को देख कर हैरान हूं माँ की पत्र पड़ते वक़्त तूने मुझे जरा भी अहसास नही होने दिया कि पत्र में क्या लिखा है।
धन्यवाद माँ।
U are the best mom in this world.
तो क्या लगता है कि झूठ सच मे सच को मात दे गया। अपना सुझाव जरूर दे। और अगर ये कहानी पसन्द आये तो शेयर करें।
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