कौआ चला हंस की चाल ओर अपनी भी चाल भूल गया।
एक जंगल मे एक कौआ था। वो बहुत घमण्डी था। उसे लगता था वो हर काम दो मिनट में ओर सबसे पहले कर सकता है। वो सबसे होशियार है।
वो हर एक को अपनी होशियारी से मूर्ख बनाता था।
सभी अन्य जानवर उससे बहुत परेशान थे। वही एक हंस था जो बहुत बूढ़ा था। उसने उसे सबक सिखाने की सोची। वो कोए से मिला और बोला कि मै तो बहुत काबिल हूँ। मै बहुत ऊंचा उड़ता हूँ।
इस पर कौआ हसा ओर बोला की मैं आपसे ऊँचा उड़ सकता हूँ। दोनो में प्रतियोगिता तय हुई।
कौआ ऊँचा उड़ा ओर जीत गया।
हंस ने कहा कि तुम तो सही में सभी काम कर सकते हो तुम बहुत बहादुर हो। तुम सभी काम कर सकते हो। पर क्या तुम पानी मे चल सकते हो।
कौआ इतना घमण्डी था कि उसने बिना सोचे समझे हाँ कर दिया। और झट से पास के तालाब में कूद गया। और उसमें चलने की कोशिश करने लगा। लकिन ये क्या वो तो पूरा गीला हो गया ओर डूबने लगा।
इस पर हंस कूदा तालाब में ओर कौए को बचा लिया। कौआ बहुत शर्मिंदा हुआ और उसे अपनी गलती का अहसास भी हुआ। उसने सबसे शमा मांगी और घमंड त्याग दिया।
क्योकि उसे समझ आ गया कि हर एक को भगवान ने अलग काबिलियत दी है। कोई उड़ सकता है और कोई तैर सकता है।
कोई तेज चल सकता है ओर कोई तेज दौड़ सकता है।
हमे अपनी काबिलियत पर गर्व होना चाहिए पर घमण्ड नही।
इसे कहते है कौआ चला हँस की चाल ओर अपनी भी चाल भूल गया।
धन्यवाद।।
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