किसान और उसके बेटे।
एक बार की बात है। एक किसान था उसके पांच बेटे थे। वह किसान बहुत मेहनती था। लेकिन उसके बेटे कामचोर थे । वो पूरा दिन बैठ कर ताश खेलते ओर भर पेट भोजन कर के सो जाते थे। किसान बहुत चिंतित था।
वह उन्हें काम करने को कहता तो सभी बच्चे नाराज हो जाते।
वह उन्हें काम करने को कहता तो सभी बच्चे नाराज हो जाते।
कुछ सालों के बाद किसान बहुत बूढ़ा हो गया ओर उसे लगा कि वो अब नही बचेगा। ऒर उसके बेटो को अभी भी कोई चिंता नही थी। लेकिन किसान को पता था कि उसकी जमा की हुई पूंजी उन पांचो के काम सारी उमर नही आयगी।
इसलिये उसने वकील को बुलाया और दो वसीयतें बनवायी। पहली उसके मरने के तुरंत बाद देने के लिये कहा और दूसरी दो महीनों के बाद।
जब वह मर गया तो बच्चे किसान की वसीयत के बारे में जान ने के लिये परेशान थे। वकील ने उन्हें बताया कि उनके पिता ने उनके लिये दस सोने के सिक्कों के कलश उनके लिये खेत में दबाये हैं। जो जितने कलश निकाल लेगा वो उसके हो जायेगे।
पांचो बेटे ज्यादा से ज्यादा कलश पाना चाहते थे। लेकिन ये उन्हें खुद ही खोद कर ढूंढ कर निकाल ने थे। सभी खेत को खोदने लग गए । ओर खोदते खोदते दो महीने हो गये लेकिन एक भी कलश नही मिला।
वो थक गए। लेकिन तब भी वो ये सोच कर खोदते रहे कि एक बार की मेहनत है सारी उमर तो आराम से कटेगी।
दो महीने गुजरने पर वकील अगली वसीयत लेकर आया जिसमे लिखा था कि मैने बच्चों कोई पूंजी नही जोड़ी जो कमाया सभी खर्च हो गया क्योंकि आप सभी ने कभी नही मेहनत की। लेकिन एक जमा पूंजी है ये खेत जिसको तुमने बहुत खोदा है।
इसमे तुम सब मिलकर फसल उगाओ ओर अपनी जीवन पूंजी को बढ़ाओ।
अगर ये मैं तुम्हें पहले ही ये बता देता तो तुम खेत बेच कर पैसे आराम से खर्च कर देते और बाद में तुम सभी गुजारा कैसे करते।
मुझे माफ़ करना अगर तुम्हें ज्यादा तकलीफ हुई हो।
बच्चों की आंखों में आंसू आ गए।
ओर अब वो मेहनत करने लगे और कुछ सालों में उनके कई खेत ओर जमीन जायदाद हो गयी।
शिक्षा-- मेहनत करने से ही जीवन का गुजर होता है कोई भी जमा पूंजी सारी उमर नही चलती। खाली बैठ कर तो कुबेर का खजाना भी खाली हो जाता हैं।
माता पिता सदा संतान का भला ही सोचते हैं। इसलिये उनकी बातो का कभी बुरा नही मानना चाहिये।
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धन्यवाद।।।
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