अधूरा ज्ञान
कहते है कि जितना ज्ञान लाभदायक होता है उससे कही ज्यादा अधूरा ज्ञान नुकसान दायक है।
चलो पड़ते है एक नई कहानी ।
एक गाँव में एक बालक था जो आधी अधूरी बात सुनकर ही दौड़ जाता कार्य करने और गलत कार्य कर के ही लौट ता सभी इसी कारणवश उसका मजाक बनाते थे। उसके पिता को उसकी बहुत चिंता थी।
एक दिन उसके पिता ने अपने पुत्र को एक आश्रम में भेजा और कहा कि किसी काम को जल्दबाजी से मत करना और गुरु की हर बात मानना। इस बार तुम बहुत ही समझदार बनकर लौटोगे बस मेरी कही ये दो बाते मत भूलना।
बालक आश्रम पहुंचा वहां गुरु जी एक बड़ा ही विचित्र ज्ञान सीखा रहे थे। वो एक कौआ जो मर गया था उसे जिंदा करने की विधि बता रहे थे। वह बालक बहुत ही ध्यान से समझ रहा था। और कौआ भी वो विधि पूर्ण करते ही जी उठा उसने गुरु जी को धन्यवाद कहा और उड़ गया। सभी बहुत खुश हुए।
गुरुजी ने कहा कि ये ज्ञान अभी अधूरा है इसे कोई भी शिष्य न आजमाए।
अगले दिन सभी शिष्य लकड़िया काटने जँगल में गये ओर वहां पर किसी जीव की हड्डियां पड़ी थीं। उस बालक ने सोचा क्यों न मैं गुरुजी का पाठ आजमा के देखूं की मुझे कित्ते अच्छे से समझ आया है।
वह उसी विधि को करने लगा। बचे हुए छात्रों ने कहा कि मित्र ये हड्डियां किसी बड़े जानवर की लग रही है और वैसे भी गुरु जी ने मना किया है हमे ये विधि नही करनी चाहिए।
पर उस बालक ने किसी की नही सुनी वह जल्दी ही उस जीव को जीवित करना चाहता था। वह विधि आगे बढ़ाता गया सभी छात्र आश्रम की तरफ दौड़ गये।
उस बालक ने भी अपनी विद्या से उन हड्डियों वाले जीव को जीवित कर दिया। पर ये तो बाघ था ओर जीवित होते ही वह उस बालक को खाने के लिये उसकी तरफ बड़ा। बालक ने कहा मैने तुम्हे जीवनदान दिया है और तुम शुक्रिया अदा करने की बजाए मुझे ही खाना चाहते हो। बाघ अपनी प्रवर्ति का आदि था उसने उसकी एक न सुनी और उस पर झपटा।
तभी गुरुजी वहाँ आ पहुंचे और उन्होंने उस बाघ को फिर उन्ही हड्डियों में परिवर्तित कर दिया।।
उस बालक ने गुरुजी ओर अन्य शिष्यो का शुक्रिया किया और क्षमा भी मांगी और कहा कि अब मैं हमेशा आज्ञा का पालन करूँगा।
शिक्षा- अधूरा ज्ञान हानिकारक हो सकता है।
2-सदैव अध्यापक की आज्ञा का पालन करना चाहिए।
3- किसी भी सीखे हुए कार्य को करने की जल्दबाजी नही करनी चाहिय।
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