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Monday, January 29, 2018

जो बोयेगा वोही पायेगा।। short story with great moral.

जो बोयेगा वोही पायेगा।। 



स्वागत है आपका मेरी नई कहानी के साथ।

कहानी है एक परिवार की जिसमें चार लोग रहते थे। एक चार साल का छोटा बच्चा जिसका नाम भानु था वह अपने माता पिता और दादीजी के साथ रहता था।

उसकी दादी बहुत ही बूढ़ी हो गयी थी उन्हें न तो पूरी तरह दिखाई देता था और न ही सुनाई। उनके हाथ पैर कांपते रहते थे । वह न खुद से खा पाती थी और न ही अपने आप को साफ रख पाती थी।

भानु के माता पिता को उसकी दादी से घृणा आने लगी उन्होंने दादी को स्टोर रुम रहने को दे दिया। उसे खाना भी नही देते थे ढंग से। बचा हुआ खाना दादी को खाने के लिये दिया जाने लगा। किसी को भी दादी के कमरे में जाना पसंद नही था। वह पूरा दिन अकेली ही बैठी रहती। 

यह देख कर भानु की आंखों में अक्सर आंसू आ जाते। लेकिन वो छोटा सा बच्चा था वो कर भी क्या सकता था।


जब उसके माता पिता ऑफिस जाते तो वह छुपकर दादी के कमरे में जाता और दादी के साथ खेलता, घण्टो बाते करता, दादी को गाने सुनाता, उन्हें अपने फल चिप्स चॉकलेट खिलता, जिससे दादी खुश हो जाती थी।

भानु ने आज एक विचित्र बात सुनी दादी को वृद्ध आश्रम छोड़ने के लिये उनके माता पिता किसी से बात कर रहे थे।

लेकिन उसके पिता को समाज की छवि प्यारी थी इसलिय वो चिंतित थे कि समाज क्या कहेगा कि बूढ़ी माँ को आश्रम छोड़ दिया। लेकिन उसकी भानु की माँ ने इसका भी समाधान निकाला।

बूढ़ी दादी के लिये नये वस्त्र कम्बल आदि लाये गए और उन्हें वो सब देकर विदा करने की तरकीब बनाई। ताकि दादी खुश हो जाये और कहीं बुराई न करे।

भानु चुपचाप देख रहा था और दुखी था।

अंत में दादी को ले जाने का दिन आया। भानु के पिता ने उनका नया समान मंगवाया ओर कहा माँ तू यहां पूरा दिन अकेली रहती है तेरा मन भी नही लगता, वहाँ जायगी तो तुझे अच्छा लगेगा। दादी ने बड़े प्यार से कहा कोई बात नही बेटा मुझे कोई नाराजगी नही है। भानु की आँख भर आयी।

पिता ने कहा जायो माँ का समान लाओ ओर माँ किसी भी चीज की जरूरत हो तो बता देना।

माँ को दिखाने के लिये ट्रंक खोला। पर ये क्या आधी साड़ी, आधा कम्बल, आधी जुराबें, सभी चीजें किसी ने काट रखी थी।

भानु के पिता को गुस्सा आया ये किसने किया। 

भानु ने सिर नीचा कर के कहा पापा मैने किया है वो क्या है न जब आप भी बूढ़े होंगे तो आपको वृद्ध आश्रम भेजते वक़्त पता नहीं मैं यह सब जुटा पाऊँ या नहीँ। दादी का क्या है वो तो K कपड़ों में भी समय गुजार लेगी। लेकिन आपको तो आराम का जीवन व्यतीत करने की आदत है।


 कल को समाज मे मेरी छवि खराब न हो इसलिय मैंने अभी से ही तैयारी कर ली है।


यह सुन कर भानु के माता पिता के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई। 

वो समझ गए कि जब बीज बबूल के बोयगे तो आम कैसे मिलगे ओर उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया था। 

अब वो आदरपूर्वक दादी को रखते थे। परिवार सुखी हो गया।

छोटे भानु ने उस बात का अहसास जताया जिसे उसके माता पिता भूल गये थे। ममता का अहसास, बड़ो की इज्ज़त का अहसास ओर दादी को उनका आदरणीय स्थान भी दिलाया।

दोस्तों वृद्ध आश्रम उन वृद्ध लोगो के लिये है जिनके बच्चे इस दुनियां में नही है। उनके लिये नही जिनके बच्चे जीवित होकर भी मृत समान है।

जागो -- माता पिता वो दौलत है जिनका कोई मूल्य नहीँ है। उन्होंने तुम्हें जन्म दिया,  पाला, एक सफल इंसान बनाया लकिन बदले में कोई इच्छा नही रखी।

उनके चरणों मे ही स्वर्ग है। जीते जी मत हो जाओ अनाथ। हमेशा दो उन्हे उचित स्थान।

धन्यवाद।।
If you like this kindly share to everyone so that nobody will leave his parent at old age home.


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